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My second attempt @ Poetry
March 21st 2006
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पानी फवारो, रंग उडाओ
एक दूसरे पर ।
मौज मनाओ, खुशी मनाओ
आज के अवसर पर ।
होली है रंगों से ,
लोगों की खुशियों से ।
इस में आज हम खुलकर झूमें ,
एक साथ होके ।
रंगों का त्यौहार है ये ,
जो हमको है सिखाता ।
खुशी फैलती सभी दिशा में ,
अगर हो विविधता में एकता ।
मिलकर आज करें हम प्रण ,
सबको साथ लाने का ,
इस दुनिया को एक नई और अच्छी
जगह बनाने का ।
~ अंकुर पाटणकर ~
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My second attempt @ Poetry
March 21st 2006
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पानी फवारो, रंग उडाओ
एक दूसरे पर ।
मौज मनाओ, खुशी मनाओ
आज के अवसर पर ।
होली है रंगों से ,
लोगों की खुशियों से ।
इस में आज हम खुलकर झूमें ,
एक साथ होके ।
रंगों का त्यौहार है ये ,
जो हमको है सिखाता ।
खुशी फैलती सभी दिशा में ,
अगर हो विविधता में एकता ।
मिलकर आज करें हम प्रण ,
सबको साथ लाने का ,
इस दुनिया को एक नई और अच्छी
जगह बनाने का ।
~ अंकुर पाटणकर ~
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